Basic structure of constution of keshwanand bharti case

नमस् कर दोस्तों आज मैं आपको भारत के सबिधान को सम्जहने की कोसिस करता हूँ ‘ अप्रैल 24 1992 को किय हुआ अप्रैल २४ १९७३ को एक तो वो हुआ जो आपके किरकेट के भगबान हैं सचिन तेन्दूरकल जी का जन्मदिन हुआ और कुछ लोगो के लिया या महान घटना है लेकिन अप्रैल २४ १९७३ को सचिन का जन्मदिन हुआ लेकिन उस दें एक घटना उससे भी बहोत बड़ी घाटी और उस घटना का नाम या है केशवानंद भर्ती नाम के एक भोत प्रिसिद्ध मुक़दमे का जजमेंट आया और उस जजमेंट में भारत के सम्भिधान को हमेसा के लिया बदल दिया।

२४ अप्रैल १९७३ को भारत के सभिदन में ७३ वा संसोधा हुआ जिसके माध्यम में पंचायती राज़ के प्रावधान को पहिली बार नोटिफीय किया गया और पचायती राज़ भारत के सम्भिदान में डी पि s p में लिखा हुआ था राजीव गाँधी अपने अंतिम दौर में चाहते की संसोधन कर के पंचायती राज़ को सम्भिधान का हिस्सा बाना दू लिकेन राजीव गाँधी जी कोसिस करने के बाद भी नहीं कर पाय और उनकी की मिरतु हो गई उनकी मिर्तु के बाद 1991 में जब p b नरसिंम्हा नन्द जी भारत के प्रधान मंत्री बने और उन्होंने भी प्रियस किया और 1992 के एन्ड में दोनों सदनों ने पंचायती राज़ को पास किया 17 राज़ो के बिधान मंडल में उसे रेडे फैय किया और सहमति जताई और उसे बाद 20 अप्रैल 1993 को भारत के रास्टीयपति ने उस पर दस्खत किया 24 अप्रैल 1993 को भारत सरकार ने ोफिकल गिजित जारी किया और उस दिन से पंचायती राज़ संबिधान में लागु हुआ और यही कारण हैं किन 24 अप्रैल को भारत में पंचायती राज़ दिवस मनाया जाता हैं हो आज भी मनाया जाता है

लेकिन 24 अप्रैल का दिन सबसे जियादा खास है केशवानंद भर्ती सके का जज मेन्ट आया और कस्वानन्द केस के या तै कर दिया की भारत में केवल संबिधान की ही चलती है और उसके अलाबा किसी और की नहीं चलती है

भारत के संबिधान में बहोत सरे भाग है और उसमे से एक है भाग 3 और भाग 4 भाग 3 का सम्बंद है फंडामेंटल राइट मूल अधिकार वो ादही कर है जो राज्य ने नगरी को दिए हैं मूल अधिकार कर को सरकार भी नहीं चीन सकती है मूल अधिकार को छीने के लिए बहोत बड़ी सकती चाहय अन्यथा नहीं छिन सकते हैं

और भाग 4 जो है D P S p सी का मतलब हैं राज्य की निति के निदेशक ततब

भाग 3 में 12 से लेकर के 35 तक का हिस्सा आता है

और जो भाग 4 है 36 से लेकर के 51 का हिस्सा आता है भारत के संबिधान के कुल 22 भाग हैं

महात्मा गाँधी जी का निधन हो 30 जानवर 1948 को तब सबिधान बनने की प्रकिर्या में ही था

संबिधान सभा ने एक सेहमति बनाई के हम बोटिंग नहीं करेंगे

अगर राज्य सरकार किसी बियक्ति के नागरिकता चिह्नता है या खंडित करता है तो वो बियक्ति सीधे सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट जा सकता है की या सरकार मरी नागरिकता को चिह्न रही है

डी पि s पि

सम्पति का अधिकार था एक तो आर्टिकल 198 में और एक आर्टिकल 31 में

या कहता था की भारत के हर एक नगरी को सम्पति का अधिकार होगा जैसे की सम्पति को किराय पर भी दे सकते है और सम्पति को बेच भी सकते हैं और रख भी सकते है और आप उसे गिफ्ट भी कर सकते है क्यू की या फंडामेंटल राइट था

और आर्टिकल 31 खता था के किसी बियक्ति की प्रॉपर्टी को चिहना इतना आसान नहीं होगा और इसके लिए कुछ प्रोसेस था और उस सप्तमाती को राज़ तभी चिहन सकता है उस सम्पति के बदले राज़ को कम्पेन्सेशन देना पड़ेगा

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